फेसबूक से....
![]() |
हिंदूस्तान - 1857 ठाकुर शाब 9th July 12,
2021 ज्यादा अतीत में न जायें तो भी 1857 की क्रांति के
बाद अंग्रेज प्रशासनिक अफसर जब कलकत्ता के अपने दफ़्तर में बैठते थे तो प्रोटोकॉल
के अनुसार उनके पीछे की दीवार पर उस भारत का मानचित्र लगा होता था जिसे वो "इंडिया"
कहकर पुकारते थे। अपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस नक़्शे के अनुसार 1857
की क्रांति के समय भारत का क्षेत्रफल था लगभग 83 लाख वर्ग किलोमीटर जो आज घटकर
मात्र लगभग 33 लाख वर्ग-किलोमीटर रह गया है। यानि 1857 को बाद हमने अपनी भारतभूमि का लगभग पचास
लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग गँवा दिया। मगर न तो हमें वेदना है न ही कोई शर्म। ---------------------------------------------- मेरी टिप्पणीः
दीवार पर के
मानचित्र एक द्वीप रूपी छोटा सा देश की अफलातून कारकीर्दी दर्शाता है। हम किस ढंग से कह
सकते हैं कि 33 लाख वर्ग-किलोमीटर भी जो अभी भारत के पक्ष में है वह अपनी
कारकीर्दी का नतीजा है? धन्यवाद!!
4:10 p.m. 12-07-2021 ---------------------------------------------- HINDOSTAN or British India (हिंदुस्तान या ब्रिटिश इंडिया) मेरी टिप्पणी 2 – जैसे कि उपर लिखा है – ‘प्रोटोकॉल के अनुसार उनके पीछे की दीवार पर उस भारत का मानचित्र लगा होता था जिसे वो "इंडिया" कहकर पुकारते थे।‘ इस मानचित्र में तो “इंडिया” एक और – छोटा – विकल्प के तौर पर लिखा गया है, वह भी “ब्रिटिश इंडिया” के नाम से लिखा गया है। मुख्यरूप से उस वख़्त का जो नाम प्रचलीत था वह बड़े अक्षरों में मानचित्र ठीक उपर लिखा गया है जो है हिंदूस्तान – HINDOOSTAN, जिस नाम को अंग्रेज को फारसी मुघलों से मीला। उनके सामने जो भारत पेश आया था वह था फारसी हिंदूस्तान, फारसी अधिकृत भाषा वाला हिंदूस्तान, और फारसी लिबास पहेनी हुई आम लोगों की हिन्दी – यानी कि उर्दू भाषा वाला हिंदूस्तान। इन सब का मुकाबला उनको विलायत छोड़ने के पहले से ही करना पड़ता था नही तो वे कारोबार किससे करते, कैसे करते, और उस में कामयाब कैसे रहते। शायद मद्रास या और दक्षिण भारतीय हिस्से को छोड़ कर सारे फारसी हिंदूस्तान में फारसी, उर्दू में लोग माहीर होने की कोशिश मे लगे रहते थे। यह एक कुछ पहेलू था जो हिन्दूवादीओं ने अस्वीकृत किया और इस बुनियाद पर आज़ादी तो मिली लेकीन हुल्लड़ाबादी के साथ. अगर हम भारत, हिंदूस्तान, इंडिया की पूछ को न पकड़ के रखते, अपनी अपनी ज़बानी वतन को ही सर्वश्रेष्ठ समझते तो बात कूछ और ही होती, जो होनी चाहिए थी, जो नैसर्गीक बात होती। अभी भी कुछ किया जा सकता है, संवारा जा सकता है, दिमाग में तो शुरूआत हो! इस के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों को गाड़ने की ज़रूरत है। हम सिर्फ हिंदू और मुसलमान नहीं बल्कि और भी कुछ हैं, जो खुदा के नाम पर विशेष एहमियत रखता है, जिस को नाकारना एक अपराध के तौर पर आता है, जिस के बारे में गांधी तक भी ना समझ रहे। अफसोस।
4.40 सांय, 14-07-2021 ---------------------------------------------- सारा ब्लॉग पढ़ें - खुद को बनाएं अपना मेरे और ब्लोग्ज़ पर भी तशरीफ़ फरमाइये! :- |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें