बुधवार, 3 अप्रैल 2024

स्वयं ही बनायें ओर स्वयं ही भगाएं?

 गुजराती क्वोरा से अनुवाद.....

यदि अंग्रेज भारत नहीं आये होते और मुगल तथा अन्य नवाब भारत पर शासन करते रहते तो क्या आज भी भारत एक हिन्दू बहुसंख्यक देश होता?


राठो़ड नीलेश का जवाब...

जरूर होता।

जितना मैंने इतिहास का अध्ययन किया है, मैं कह सकता हूं कि यदि ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार ने भारत को गुलाम नहीं बनाया होता और मुगल साम्राज्य के अधीन नहीं होता, तो भारत आज भी एक हिंदू बहुसंख्यक देश होता।

इसके पीछे मुख्य कारण हिंदू बहुसंख्यक आबादी है।

मुगलों और अन्य विदेशियों के भारत पर आक्रमण करने और उसे गुलाम बनाने में सक्षम होने का कारण भारत के राज्यों के बीच एकता की कमी थी।

यदि भारत के लोग पूर्ण बंधुत्व और देशभक्ति के आदर्शों पर चलते तो शायद हम कभी गुलाम नहीं होते।

मुग़ल साम्राज्य और अन्य अफ़गानों या तुर्कों के आक्रमण का कारण भारत की संपत्ति थी, नहीं कि केवल हिंदू धर्म का विनाश था।

यदि आप इतिहास को गहराई से पढ़ेंगे तो पाएंगे कि औरंगजेब को छोड़कर मुगल साम्राज्य के किसी भी राजा ने भारत के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव की नीति नहीं अपनाई।

अकबर के नौ रत्नों में से कई मूल रूप से हिंदू राजा थे।

उन्हें दीन-ए-इलाही बनाया गया और उन्होंने एक नया धर्म बनाया जिसमें दोनों धर्मों के अच्छे पहलुओं को शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने किसी को उसका पालन करने के लिए  मजबूर नहीं किया इसलिए आज उनका कोई अनुयायी नहीं है।

लेकिन भारत का दुर्भाग्य है कि आज जो धार्मिक भेदभाव है, वह उससे भी कहीं ज़्यादा है। वजह है सोशल मीडिया पर असामाजिक पोस्ट...और इतिहास की अधूरी जानकारी...

भारत के गांवों के लोगों में आज भी एकता है जो इस शहरीकरण से कहीं न कहीं टूट रही है।



मेरी टिप्पणी - ऊपर से - 'मुगलों और अन्य विदेशियों के भारत पर आक्रमण करने और उसे गुलाम बनाने में सक्षम होने का कारण भारत के राज्यों के बीच एकता की कमी थी।'

हम एक-दूसरे को पटाने का, गुमराह करने का  अच्छा काम करते हैं।  यह लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समझो, इस तरफ एकता की कमी थी तो क्या उस तरफ बहुत एकता थी अर्थात राज्यों के बीच एकता थी?   मुग़ल अपने ही छोटे, महत्वहीन गाँवों से आए थे और अंग्रेजों का अपने पड़ोसी राज्यों से बहुत अधिक लेना-देना कब था ? हा, उनकी आपस में खुब पटती होगी.  उनकी अंदरोअंदर में एकता का जवाब नहीं होगा. अंग्रेज का मतलब है अंग्रेज. लेकिन हमारे यहां  गुजराती का मतलब गुजराती ऐसा होई नहीं सकता । यह तो बहुत सामान्य सी बात लगती है. लेकिन यहां हम राज्यों के बीच एकता की बात कर रहे हैं. एक मजबूत देश की अखंडता की बात हो रही है.

हम गुजराती-गुजराती नहीं खेलना चाहते. हमारे सामने हिंदू मुस्लिम का मुद्दा है, हमें इसका इस्तेमाल करना पसंद करते हैं.  इसी के दम पर तो भारत आज एक मजबूत देश के रूप में खड़ा है।

जैसा कि आपने लिखा है, ‘यह भारत के लिए दुर्भाग्य की बात है कि आज जो धार्मिक भेदभाव है, वह उससे कहीं अधिक है।’  लेकिन इसी में तो भारत की देशभक्ति शामिल है। जितना अधिक धार्मिक भेदभाव होगा, भारत उतना ही मजबूत होगा और हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं कि इस मामले में हम कितना आगे निकल गये हैं।

दरअसल धर्म और अध्यात्म या ईश्वर स्वयं दो अलग चीजें हैं। धर्म मनुष्य का बनाया हुआ है. अध्यात्म अर्थात ईश्वर जो है वही है। यदि आप अंग्रेज़ हैं तो आप अंग्रेज़ हैं। यदि आप गुजराती हैं, तो आप गुजराती हैं। यदि आप सिंधी हैं, तो आप सिंधी हैं। यदि सिंधी को धर्म ही सब कुछ है ऐसा नहीं कहा जाता तो क्या उन्हें अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ती कोई ऐसा ईश्वर हो सकता हैं कि  जो स्वयं ही सिंधिओं  को बनाता और स्वयं ही सिंधिओं को भगाता है क्या सिंधिओं की अपनी सरजमीन पर से हटाने का ठेका  स्वयं ईश्वर ने ले रखा थायह मानना मुश्किल है।

अगर इस बात की समझ लोगों में फैले तो सभी चीजें एक हो मौके पर में सुलज जाएंगी, चाहे वह कश्मीर हो या पाकिस्तान, या शक्तिशाली भारत।

03-04-2024




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