वॉट्सअप पर की एक विडीयो क्लीप पर....
मुगलों के कुकर्मों की कहानी मुस्लिम की जुबानी
मेरी टिप्पणी....
पहली बात - मुसलमान कोई आसमान से नहीं टपके कि उनका
मुगोलों से कोई वास्ता नहीं.
दूसरी बात - जैसे कि इसमें बताया गया है मुगल
यानी कि मोंगोल न नाहने वाले में से थे।
अंग्रेज भी कुछ ज़्यादा नहीं नाहते थे। फिर भी इन दोनों ने समझों पांच सौ
साल राज किया। और स्थानीय लोग, रोज रोज
नाहने वाले लोग, ज़ोर शोर से पुजा पाठ करने वाले लोग, खाने के बारे में परहेज़
करने वाले लोग, यह लोग बस देखते ही रह
गये। यह सब क्या बताता है? यह सब बताता है कि ईश्वरकृपा एक बाजू रहती है, और पूजा पाठ की
तो कोई और ही बात बनती है. बोलो ईश्वर
बड़ा या कि धर्म? ईश्वर से कितना कितना पंगा लेना चाहते
हैं कि धर्म के नाम पर लोगों को घरबार छोड़ना पड़े, अपनी अपनी भाषाओं को भी दुय्यम दर्जा मिलने पर मजबूर होना पड़े?
अंग्रेज तो चले गये, लेकिन पीछे इंडियंस यानी भारतीय छोड़ के गये। मोगलों ने हिंदूस्तानी बनाये. अगर न तो कोई हिन्दुस्तानी
बनते कि न कोई भारतीय होते, न तो हिंदुस्तान बनता, कि न कोई पाकिस्तान, न की धर्म
के नाम पर किसीको घरबार छोड़ना होता.
भगवान
के नाम पर सींधी, पंजाबी, बिहारी वगैरे
बनना ज़्यादा मुनासीब है न कि बनना हिंदुस्तानी पाकिस्तानी या कि भारतीय!
8.27 सायं, 19-03-2025
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