सोमवार, 18 मार्च 2019

आतंकवाद या उग्रवाद?

मेरी टिप्पणी: अच्छा हुआ कि किसी ने इस मामले को उठाया। आतंकवाद क्या है
भारतीयों के लिए सबसे अधिक संतोषजनक लेख, ऐसा समझें,  लेकिन कश्मीर के भीतर कश्मीर के लिए विशिष्ट पसंदीदा शब्द उग्रवाद है। लेखक स्पष्ट रूप से एक तटस्थ बाहरी व्यक्ति होने के बावजूद सभी पक्षों से देखने में असमर्थ है। यदि कुछ अमेरिकी प्रकाशकों "मिलिटेंट" यानी कि उग्रवादी शब्द पर भरोसा करते हैं, जैसा कि लेखक कहती हैतो वे दूसरे पक्षों के दृष्टिकोण को भी लेने की कोशिश कर रहे हैं।
यह एक बहुआयामी दुनिया है। जबकि भारत एक जाति, एक राष्ट्र होना चाहता है.  एक जाति यानी कि भारतीय होने और एक राष्ट्र यानी कि भारत का होने पर ही विश्वास करना चाहता है,  और एक बाजू दुनिया एक जागतीकरण की राह पर है जहाँ लोगों के भीन्न विचारों की जगह कम होती हुई नज़र आ रही है. 
लेकिन यह तो सब जानते हैं कि यह वास्तव में ऐसा नहीं है और ऐसा नहीं होना चाहिए अगर हम प्रकृति के विविधता को बाइज़्ज़त सामने रखना पसंद करें तो.   भारत में विविधता के संबंध में कोई अच्छा मिसाल मिल ही नहीं सकता पर हम उसे एकत्रीत करने में अपनी भलाई समझते हैं जो मैं कहूं तो वह एक अध्यात्मीक रूप का गृह अपराध है.
जैसा कि आतंकवाद शब्द का संबंध है, एक गुणवत्ता का अंतर है जिसे निरधारीत रूप से अनदेखा किया गया है, ऐसा समझना उचीत होगा। नवंबर 2008 के मुंबई हमले, जिसमें 166 लोग मारे गए, एक अलग पहलू है, बाकी हादशे की तुलना में जिसका लेखिका ने व्यापक रूप से उल्लेख किया है। राज्य के उपकरणों के खिलाफ हमला, सरकार के खिलाफ एक युद्ध है और यहाँ 'आतंकवाद' यह शब्द, कोई मेल नहीं खाता। और अगर यह सब गतिविधीयों मूल देश के नागरिकों के एक वर्ग के लिए एक जय जयकार की पृष्ठभूमि पर किया जाता है, तो हमें ओर कहीं देखना नहीं चाहिये जितना कि शर्मिंदा हो कर अपने ही घर पर ग़ोर करना चाहिए  और बात को सुलजाने केलिए अपने जिम्मे पर लेना चाहिए. 
लेकिन इस को बेड़ा पार करने में सक्त कठिनाइयाँ हैं, इस तथ्य को समझते हुवे हम सीमा के दूसरी तरफ, पाकिस्तान में, अपने काश्मिरी विरोधियों के तरफ़ सक्रिय सहानुभूति रखने वाले को उत्सुकता से आरोप और आक्रमण करने का विकल्प उठाया जाना बेहतर समझते हैं। हवाई हमलों से भारी राजनीतिक लाभ और समाचार चैनलों के लिए विशाल टीआरपी रेटिंग में बढ़ोत्री का मौका मिलता है। यहां,  इस इस से अच्छी कोई चीज़ न होगी जबकि आम चुनाव बस होने ही वाला है।
लेकिन असली रूप कोई कोई जगहों से सामने आने से रुक नहीं सका, जिसे हम एकजुट भारत कह सकते हैं.  कश्मीरियों के ऊपर हमले जो हुए पुलवामा के वजह हो रहे हैं यह दर्शाते हैं कि कई लोगों के लिए कुसुरवार काश्मिरी है न कि एक तरफा पाकिस्तान की ओर नज़र खिंची जाय. पाकिस्तान सरहद पर ज़रूर खड़ा है पर मुसीबत की जड़ काश्मिरों के दिल में है जो जब तक जीता नहीं जाएगा तब तक उग्रवाद या विरोध पनपता रहेगा.  साफ बात है, इस मामले में, उग्रवादी, उग्रवाद सही शब्दों हैं।
आइए देखें कि आख़िर में क्या यह लेखक इस मामले में अलग अलग पहेलू को भी देखना चाहेगी या नहीं?
11.59 p. m. 14-03-2019;  हिंदी संस्करण - 11.22 a. m. 18-03-2019

मुख्य लेख के लिए यहाँ क्लिक करेंः The Times of India /toi-edit-page 
American media should stop soft-pedalling and call a terrorist a terrorist
March 10, 2019, 1:00 AM IST Alyssa Ayres in TOI Edit Page | India, politics | TOI

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