फेसबूक पर प्रकाशित किये हुए पर मेरी प्रतिक्रिया
"फळे उपभोगतांना बीजारोपण करणाऱ्यांना विसरणं ही अक्षम्य कृतघ्नता ठरते.
शत शत प्रणाम ." (23-05-2019 — Milind Hiray / Raghunath Kulkarni)
हिंदी अनुवादः फल का आनंद मानते हुए
बीज बोने वाले को भूल जाना वह अक्षम्य कृतघ्नता ठरता है.
100 प्रतिशत प्रणाम
मेरी टिप्पणियां - कांग्रेस पार्टीका नामनिशान
मिटा या नहीं मिटा अब तक, बीजेपी को हिलने डुलने और खड़ा रहने का आधारस्तंभ (संविधान)
कांग्रेस ने ही तो बनाया है, यह कैसे नाकारा जा सकता है? मैं कहूं तो सारी
मुसीबत अखंड भारत की ही है. अगर अखंड भारत को अखंड कायनात समझा जाए तो बात अलग है.
लेकिन हम सारी दुनिया को अपने दिल में समाने के बजाए उसि का एक हिस्से को अखंड
भारत कहना चाहते हैं और वहां पर की भिन्नता, जातिभेद, वर्णभेद, भाषाभेद, इस सारी
हिंदू विचारधारा की ही मुख्य भूमिका को ठुकराकर एक धारा अखंड भारत बानाना चाहते हैं. ऐसा कर करके कोन से
नैतिकरूप का झंडा फैलता है? भारत एक सही मायने में तभी बनेगा जभी विविधताओं
को अपनी अपनी जगह दें जहां मुंबई भी रहे, बंबई भी रहे, कोलकाता भी हो, कलकत्ता भी
हो, अरविंद भी हो, अरोबिंदो को भी बरदास्त
किया जाय न कि हम सब — हिंदू भाईओबहनों — एक
हो और और अपनी सारी सारी विभिन्न पहेलुंओं को हटाकर के एक अखंड देश बनाने पर मजबूर
हो जैसे कि अब हैं. यह सरासर एक ज़ुर्म है
जो मोदी सरकार और उसको जिताने वाले प्रचंड बहुमत दिलाने वाले लोग सब से आखिर होंगे
इस बात को समझने में.
3.31 दोपहर के, ताः 25-05-2019
कृपया अधिक के लिए नीचे दाहिने तीर पर क्लिक करें ।
कृपया अधिक के लिए नीचे दाहिने तीर पर क्लिक करें ।
सहमत, सनातन धर्म में तो वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा है। - मंजुल
जवाब देंहटाएं