- वॉट्सअप पर फिरता हुआ मेसेज.....
मित्रों !
क्या हमें कुछ सत्य इतिहास के विषय में पत्ता है ? ? ?
ऐसा कहा जाता है कि इतिहास से सबक न लेने वाले इतिहास बन जाते हैं अस्तु कुछ दिमाग पर जोर डालिए 1946 में अलग देश की मांग पर "डायरेक्ट ऐक्शन डे" हुआ
हमें कुछ नहीं पता
1947 में बंटवारे में लाखों लोग मारे गए, करोड़ों लोग बेघर हो गए
हमें कुछ नहीं पता
1947 के बंटवारे में 23 % मुसलमानों को 31 प्रतिशत भूमि दे दी गई
हमें कुछ नहीं पता
अपनी आबादी के अनुपात से अधिक भूमि लेने के बाद भी 9करोड़ में से 3करोड़ मुसलमान भारत से गए ही नहीं
हमें ये भी नहीं पता
हमसे टूटा हुआ हिस्सा इस्लामिक देश बन गया और भारत धर्मशाला बन गया
हमें बिलकुल भी नहीं पता
और सबसे बड़ी बात जो हिन्दू को अब तक नहीं पता है कि १९४७ में आजादी सिर्फ मुस्लिम को ही मीली है। हिन्दू तो आज भी गुलाम है।
और हमें अब तक नहीं पता
पूरा का पूरा संविधान हिन्दू के खिलाफ बना दिया और सेक्युलर के नाम पर हिन्दू का दमन होता आ रहा है।
फिर भी हमें अब तक नहीं पता
80-85 प्रतिशत हिन्दुओं के राष्ट्र में मस्जिद और मदरसा महत्वपूर्ण हो गए जबकि मंदिर और मठ का नाम लेना साम्प्रदायिक हो गया
हमें नहीं पता
सौ साल के भीतर ही मुसलमान फिर से एक देश लेने की स्थिति में पहुंच गए
हमें ये भी नहीं पता होगा
मेरे प्यारें लोभी-लालची सेक्युलर हिन्दुओं तुम्हें पता क्या है ?
और हां ...
अब पता करो कि भागना कहां है ?
अतः कुछ ज्ञान चक्षु खुले हो तो जगिए और जगाइए !!
- वॉट्सअप पर फिरता हुआ मेसेज.....
(23-09-2022)
मेरी टिप्पणीः
ब्रिटैन के पूर्व प्रधान मंत्री विष्टन चर्चील ने हमारे चारीत्र के बारे
में बहुत ही बुरा-भला कहा था। ऐसा क्यों
कहा होगा? सारे के सारे को झुठ कह कर हम चैन से नहीं बैठना चाहिए! इन्डिया की बुनियाद है उनकी, उसको चलाने के लिए
भाषा है उनकी. लेकिन हम समझ रहें है इन सब को अपने! तो
क्या यह चोरी के दायरे में नहीं आते?
यह जो बंटवारे की बात लीजिए,
हिंदू-मुस्लीम वाली बात,
इन्डिया-पाकिस्तान वाली बात, यह सब दुनिया के सामने हम पर कलंक था, धब्बे
थे. यह सब भी अपना चरीत्र, केरेक्टर दिखा
देता हैं। और "हमे
कुछ नहीं पता"
मुसलमानों की बात तो खैर ठीक है, मुसलमान होनें में ही अपनी एक अलग सी ज़ात समझते हैं। लेकिन इसी बात अपनी अंदरूनी जातपात के लैस हिंदूओं में कैसे लागू हो गई कि वह भी मज़हब के नाम पर अपनी भाषा तक को भी खोना चाहा है? इस में सम्मिलित है धर्म का उल्लंघन! हमें ये भी नही पता होगा!
पंजाब का बंटवारा, बेंगाल
का बंटवार नहीं होता अगर लोग भाषावाली पहचान को छोड़ना नहीं चाहते. बेंगाल का तो
फिर भी न होता अगर नेहरू की लालची नजर कलकत्ता पर नहीं ठहरती.
यह हिंदू मुस्लीम वाली बात, यह भारतियों के चरीत्र, केरेक्टर पर कलंक लगाने वाली बात, लांछन लगाने वाली बात ने तो और भी ज़ोर पकडा है अभी! क्योंकि मानो आखिर में हमे कुछ पता भी तो चले. कुछ ज्ञान चक्षु भी तो खुले. कि सही बात क्या समझनी चाहिए!
लेकिन इसी राह पर चलना,
चलाना, जगना, जगाना अपने चारीत्र वालों को है असंभव.
10.26 सांय, 24-09-2022
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