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राज पेबैक: ब्रिटेन का दावा है कि वह अभी भी ऐसे भारत को 'सहायता' देता है जिसकी अर्थव्यवस्था खुद से आगे निकल गई है
March
23, 2023, 9:37 PM IST Jug Suraiya in Juggle-Bandhi, Edit
मेरी
टिप्पणी: हम ब्रिटेन के द्वीप राष्ट्र के साथ अपनी तुलना करना कब बंद करेंगे? यह तो एक
छोटे चूहे की तुलना एक विशालकाय शेर से हो रही है। लेकिन हम इसके विपरीत ही
सोचने के काबिल समझते हैं। हम मानते हैं कि यह एक शेर था जो जैसे कि लेखक ने कहा, 'एक विदेशी भूमि
से बिन बुलाए मेहमान के रूप में आपके घर में दिखता है। पहले चालाकी से फिर
जबरदस्ती, तुम्हारे मेहमान ने खुद को तुम्हारे घर का मालिक बनवा लिया।' और कहा - 'मेहमान-से-मालिक बने हुए ने सुनियोजित ढंग से लूटा....'
जैसा कि हमें पता होना चाहिए, वास्तविक तथ्य यह है कि वे बौने थे, हम दिग्गज थे। यदि वे हमारे विशालकाय जीवन की शक्ति को आपने वश में कर पाये हैं, तो यह सबसे असाधारण उपलब्धि के रूप में है। एक भरपूर भगवान का आशीर्वाद उनके सिर पर था, इस में कोई संदेह नहीं। यह बच्चों को बताई जाने वाली लोककथाओं का हिस्सा बनने के लायक बनता है। जो कि हम कभी न होने देना चाहेंगे!
जब लेखक के शब्दों में 'आखिरकार, परिस्थितियों के बल ने आक्रमणकारी अतिथि को विदा करने के लिए मजबूर किया' तो उन्होंने हमें बंबई, कलकत्ता, मद्रास को हमारे हवाले किए जिन्हें पा कर हम खुशी से फुला ना पाये. बस उनके नाम बदलना चाहे क्योंकि हम बच्चों को इतिहास के बारे में तुरंतही नहीं स्पष्ट होने दे सकते!
यह
हास्यास्पद बात है कि इन सभी को तत्काल बंद करने की जरूरत है। हमें इससे सब कुछ सीखने की
जरूरत है। अगर अंग्रेजी इतनी प्रभावशाली हो सकती है तो एक मराठी को भी प्रभावशाली
क्यों नहीं ठहराया जा सकता? यह कितना शर्मनाक है जब हम स्वेच्छा से खुद
को एक अंग्रेजी दुनिया को सिर आंखो पर रखना चाहते हैं, और केवल नाम
बदलने की कवायद कर के अपने आप को गौरवशाली समझना चहते है। हम वास्तव में न तो
स्वयं के लिए अच्छे निकल पाए हैं और न ही
दूसरों के लिए।
10.45 सायं, 30-03-2023
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