Yatri Doctor in
टिप्पणी 1 - उर्दु पढ़ना नहीं आना ही तो लाज रखता है, इन्डिया पाकिस्तान जो बरकरार रखना है। अगर हम एक दुसरे की भाषा पढ़ने लगेंगे तो बात बिगड़ जाएगी। भारत के लिए पाकिस्तान बना है और पाकिस्तान के लिए भारत। बाकी स्क्रिप्त तो ही सीखनी है। इस छोटीसी बात के लिए भी कोशिश न करना यह देश भक्ति की निशानी है। अगर अंग्रेज़ न आते तो सब इसी लिपी से कारोबार चल रहा होता सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान में।
27-10-2024
टिप्पणी 2 -निहायत ही अनजाने में बात बनी. आपने कहा कि तक्षशिला के साप फ्रेंडली है, जैसे कि वकासभाई फ्रेंडली है. वाकासभाई ने तुरंत कहा कि यानी कि आप कहना चाहते हैं कि मैं साप हूं. तथ्य यह है कि चाहे कितना ही वकासभाई फ्रेंडली हो, उनको साप समझना ज़रूरी है. पाकिस्तान को साप न समझना, हिंदुस्तान को खतरा मोल लेने के बराबर है. एक बाजू हिंदूस्तान को बरकरार रहना है और दूसरी बाजू पाकिंस्तान को. हिंदी या तो ऊरदु का सवाल बना रहेगा. सवाल सिर्फ पंजाब और उसकी पंजाबी ज़बान का रखें तो सारा पंजाब सारे पंजाबियों का हो जाना चाहिये. इसकी तमन्ना किस को होनी है?
10-11-2024
टिप्पणी 3 - ज़बरदस्त पहल की आपने. इतने नजदीक पर जानी दुश्मन. देश की भलाई दुश्मनी में शामील. वास्तव में हिंदी और उर्दू के बीच में लकीर है यह. अगर आदर्शवादी न बनते तो न तो पाकिस्तान बनता ना कि भारत. सिर्फ पंजाबी या तो फिर हरयान्वी या कुछ और बनने में क्या कुछ खराबी नज़र आ रही थी और आ रही है?
22-11-2024
मुल्तानी जैन मंदिरों का बेहाल
टिप्पणी 4ः निहायत ही खेद की बात है कि लोगों को अपना वतन छोड़ कर भागना पड़ा। यहां से वहां, वहां से यहां. अगर कोई हिंदुस्तान, पाकिस्तान वाली चीज़ न बनती तो मुल्तानी अपने मुल्तान में ही रहता और हर्यान्वी अपने हर्याना में. नेतांओं की ज़िद की वजह से क्या क्या भयंकर बात बन गई. पर नेताओं कभी अपने आप को कुसूरवार नहीं मानते. यही तो बात हिंदुस्तान-पाकिस्तान बने रहने देता है!
26-11-2024
https://www.youtube.com/watch?v=jgSvuhe7VUw&t=1459s
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